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Navratri


Navaratri tyohar festival of Hindu religion

Navratri (Sanskrit: नवरात्रि, Bengali: নবরাত্রি, Kannada:ನವರಾತ್ರಿ) is a Hindu festival of worship and dance. The word Navaratri literally means nine nights in Sanskrit; Nava meaning Nine and Ratri meaning nights. During these nine nights and ten days, nine forms of Shakti/Devi i.e. female divinity are worshipped.




  1. नवऱात्री साल में दो बार मनाई जाती है जिसमे चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि है। 
  2. शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से शुरू होती है। 
  3. नवरात्रि में नौ दिनों तक नौ देवी रूप की पूजा की जाती है। 
  4. इन दिनों घर घर में कलश की स्थापना कर पूजा आयोजित की जाती है। 
  5. मंदिरो में देवी के दर्शन के लिए बहुत भीड़ देखने के लिए मिलती है। 
  6. नवरात्रो में हिन्दुओ द्वारा जगह जगह भंडारे लगा कर भूखे लोगो को भोजन भी कराया जाता है। 
  7. नवरात्रो में बहुत सी जगह रामलीला का भी आयोजन होता है। 
  8. शरद नवऱात्री के अगले दिन दशमी होती है जिस दिन रावण का दहन किया जाता है।  
  9. नवरात्री के अष्टमी और नवमी के दिन हिन्दू छोटी कन्याओं को भोजन करते है और उन्हें देवी स्वरुप मान कर उनका पूजन करते है। 
  10. सभी लोग इन दिनों नए नए कपडे पहनते है और बाज़ारो में भी खूब रौनक देखने को मिलती है।

Shardiya Navratri : देशभर में अलग अलग अंदाज में नौ दिनों तक नवरात्रि (Navratri) मनाया जा रहा है. इन नौ दिनों मां दुर्गा (Durga) की आराधना की जाएगी और उनके नौ रूपों को पूजा अर्पित किया जाएगा. इन दिनों को लेकर कई मान्‍यताएं और परंपराएं हैं जिसे बरसों से माना जाता रहा है और हिंदू धर्म में इन मान्‍यताओं को खास स्‍थान दिया गया है. मां देवी शक्ति स्‍वरूपा हैं और असत्‍य का नाश करने वाली हैं. उनके जन्‍म से लेकर उनके वाहन सिंह, कन्‍यापूजन का महत्‍व, महिषाषुर वध की कहानी आदि कई चीजें हैं जो मान्‍यताओं के नाम पर हम बचपन से सुनते आए हैं लेकिन उससे जुड़े तथ्‍यों (Facts) को हम नहीं जानते. तो आइए आज हम यहां आपको नवारात्रि में मां दुर्गा से जुड़ी नौ बातों को यहां बताते हैं.

1.ऐसे हुआ देवी का जन्म

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं को भगाकर जब महिषासुर ने स्वर्ग पर कब्जा किया तो सभी देवता मिलकर त्रिमूर्ती यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव के पाए गए और उन तीनों ने अपने शरीर की ऊर्जा से एक आकृति बनाई. यहीं पर देवी दुर्गा ने जन्‍म दिला. इस रूप में सभी देवताओं ने अपनी अपनी शक्तियां डाली. इसीलिए दुर्गा को शक्ति भी कहा जाता है. इसलिए वो सबसे ताकतवर मानी जाती हैं. उन्हें शिव का त्रिशूल, विष्णु का चक्र, बह्मा का कमल, वायु देव से नाक, हिमावंत (पर्वतों के देवता) से कपड़े, धनुष और शेर मिला और ऐसे एक-एक कर शक्तियों से वो दुर्गा बनी.

2.देवी की अष्‍ट भुजाएं

देवी दुर्गा को अष्ट भुजाओं वाली कहा जाता है. कुछ शास्त्रों में 10 भुजाओं वाला भी कहा जाता है. दरअसल वास्तु शास्त्र में 8 अहम दिशाएं होती हैं, लेकिन कई जगहों पर 10 कोण या दिशाओं की बात की गई है. ये हैं प्राची (पूर्व), प्रतीची (पश्चिम), उदीची (उत्तर), अवाचि (दक्षिण), ईशान (नॉर्थ ईस्ट), अग्निया (साउथ ईस्ट), नैऋत्य (साउथ वेस्ट), वायु (नॉर्थ वेस्ट), ऊर्ध्व (आकाश की ओर), अधरस्त (पाताल की ओर). कई स्‍थानों पर आकाश और पाताल की ओर को दिशा का दर्जा नहीं दिया जाता. मान्‍यता है कि देवी हर दिशा से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और यही कारण है कि उनकी 8 भुजाएं हैं जो ये हर दिशाओं में रक्षा करती हैं.

3.नौ दिन क्‍यों होती है पूजा

जब असुरों के संहार के लिए देवी निकली तो भैंसे का रूप धारण करने वाले महिषासुर को मारने के लिए उन्हें 9 दिन लगे और इसी लिए नवरात्रि में नौं दिनों तक देवी के विजय का जश्‍न मनाया जाता है. मान्‍यता उनके नव रूपों को लेकर भी है कि युद्ध के हर दिन देवी ने अलग रूप धारण किया था और इसलिए नौं दिन देवी के अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है.

4.इसलिए हैं सिंह वाहिनी

देवी सिंह पर सवारी करती हैं जो शक्तिशाली  है.  इसे अतुल्य शक्तिशाली जानवर माना गया है. मान्‍यता है कि जब देवी दुख और बुराई का अंत करने निकलती हैं तो सिंह पर सवार होकर निकलती हैं.

5.त्रयंबके क्यों

त्रयंबके यानी तीन आखों वाली. जबकि शिव भी त्रिनेत्री माने जाते हैं. दरअसल दुर्गा को शिव का आधा रूप माना जाता है जो शक्ति के नाम से जानी जाती हैं. दुर्गा की तीन आखें अग्नि, सूर्य और चंद्र की प्रतीक हैं.


6.इसलिए किए जाते हैं 108 मंत्रों का जाप

मान्‍यता है कि भगवान राम ने लंका नगरी जाने से पहले मां दुर्गा की पूजा आराधना की थी जिन्हें राम ने ही महिषासुर मर्दिनी के नाम से ही संबोधित किया था. ये पूजा रावण से युद्ध करने के पूर्व की गई थी और रावण के दसवें दिन वध होने पर दशहरा नवरात्रि के अंत में मनाया जाता है. इस पूजा में राम ने देवी को 108 नीलकमल चढ़ाए थे और इसलिए आज भी 108 मंत्रों का जाप शुभ माना जाता है.

7.पितृपक्ष के बाद ही नवरात्रि

पीतरों की पूजा पितृपक्ष में की जाती है और माना जाता है कि इसके बाद घर की शुद्धी हो होती है. इसलिए पितृपक्ष के बाद देवी पक्ष शुरू होता है इसे नवरात्रि भी कहते हैं. इस दिन से ही हर तरह के त्योहारों की शुरुआत होती है.

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8.ये है कहानी तवायफ के घर की मिट्टी की

मान्यता है कि तवायफ के घर जाने से पहले एक पुरुष अपनी सारी पवित्रता उसके आंगन में छोड़कर प्रवेश करता है और इसलिए तवायफ के आंगन की मिट्टी बहुत पवित्र मानी जाती है.  इसी मिट्टी को मिलाकर दुर्गा की मूर्ति बनाई जाती है.

9.इसलिए है कन्या पूजन का महत्‍व

महावारी शुरू होने से पहले कन्याओं को देवी का रूप माना जाता है और उन्हें सबसे पवित्र भी माना जाता है. अष्‍टमी और नवमी के दिन कुमारी कन्‍या को भोजन कराने, उन्‍हें तोहफे देने और उनसे आशिर्वाद देने की परंपरा है.  कहा जाता है कि ये पूजा सबसे पहले स्वामी विवेकानंद ने 1901 में बेलुर मठ में शुरू की थी. 

Navratri Navratri Reviewed by Bloggers on 6:13 PM Rating: 5

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